2015-08-29

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

श्रावण पूर्णिमा के दिन शनिवार 29 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 1.50 बजे तक भद्राकाल होने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इसके बाद ही है। भद्राकाल में राखी बांधना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि भाई-बहन के पावन प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर इस बार भी लोगों को अपनी कलाई पर राखी बंधवाने के लिए दोपहर तक इंतजार करना पड़ेगा। यह संयोग ही है कि वर्ष 2013, 2014 के बाद अब 2015 में लगातार तीसरे साल रक्षाबंधन पर भद्रा की साया है। दोपहर 1.50 तक भद्रा होने की वजह से भाइयों की कलाइयां सज सकेंगी।

पत्नियों के दस प्रकार

पत्नियों  के दस प्रकार    (Ten types of wife)
..
1. आलसी पत्नि ::::::::::::: खुद जाकर चाय बना
लो और एक कप मुझे भी दे देना ...

..
2. धमकाने वाली पत्नि :::: कान खोलकर सुन
लो , या तो इस घर में तुम्हारी माँ रहेगी या मैं

...
3. इतिहास-पसंद पत्नि :::: सब जानती हूँ
तुम्हारा खानदान कैसा है ...
..

2015-08-28

कड़वा सच



आपके पास मारुति हो या बीएमडब्ल्यू - सड़क वही रहेगी |

आप टाइटन पहने या रोलेक्स - समय वही रहेगा |

आपके पास मोबाइल एप्पल का हो या सेमसंग - आपको कॉल करने वाले लोग नहीं बदलेंगे |

ओवर स्मार्टनैस घातक है

वैक्यूम क्लीनर बेचने वाले सेल्समैन ने दरवाजा खटखटाया। एक महिला ने दरवाजा खोला पर इससे पहले कि मुहँ खोलती सेल्समैन तेजी से घर में घुसा और गोबर का थैला घर के कारपेट पर खाली कर दिया। सेल्समैन-"मैडम,हमारी कम्पनी ने सबसे शानदार वैक्यूम क्लीनर बनाया है। अगर मैं अपने शक्तिशाली वैक्यूम क्लीनर से अगले 3 मिनट में इस गोबर को साफ नहीं कर पाया तो मैं इसे खुद खा जाऊँगा।"

2015-08-27

अपने लिए भी जीयें

जीवन का सच 


पढोगे तो रो पड़ोगे...
अपने लिए भी जीयें .! थोड़ा सा वक्त निकालो वरना..

ज़िंदगी के 20 वर्ष हवा की तरह उड़ जाते हैं.! फिर शुरू होती है नौकरी की खोज.!

ये नहीं वो, दूर नहीं पास.
ऐसा करते 2-3 नौकरीयां छोड़ते पकड़ते,
अंत में एक तय होती है, और ज़िंदगी में थोड़ी स्थिरता की शुरूआत होती है. !


और हाथ में आता है पहली तनख्वाह का चेक, वह बैंक में जमा होता है और शुरू होता है... अकाउंट में जमा होने वाले कुछ शून्यों का अंतहीन खेल..!

2015-08-25

नहा के गलती कर दी या शादी करके ?

पति बाथरूम में घुसा
और नहाने के बाद :-
अरे सुनो ,
ज़रा तौलिया देना ।

पत्नी (चिल्ला के ) :-
हमेशा बिना तौलिये के नहाने जाते हो ।
अब मैं चाय बनाऊँ या तौलिया दूं ।
बनियान भी धो के नल पे टांग देते हो
वो भी मैं उठाऊं ।
नहाने के बाद वाइपर भी नहीं चलाते ।
कल लाइट भी खुली छोड़ दी थी तुमने ।
गीले गीले बाहर निकलोगे तो

2015-08-22

साधना का अर्थ

साधना का अर्थ नहीं है कि बुराई को छोडो, भलाई को पकड़ो। साधना का अर्थ है, बुराई में से भी सत्य की तरफ उठो, भलाई में से भी सत्य की तरफ उठो। बुराई और भलाई में मत चुनो, दोनों से अनुभव का निचोड़ ले लो और दोनों से प्रौढ़ बनो। दोनों से तुम्हारी समझ गहरी हो, तुम्हारा हृदय विस्तीर्ण हो। दोनों के बीच से तुम अपनी नाव को, अपनी नदी को बहाओ कि वह सागर तक पहुंच सके। पाप और पुण्य तुम्हारे किनारे बन जाएं।साधना यानी खुद को नियंत्रित करना। योग की भाषा में इंद्रियों को अपने अधीन करने का नाम साधना है। इसे हम स्वयं पर नियंत्रण करके अपने मन मुताबिक फल हासिल करने का तरीका भी कह सकते हैं। 

श्री कल्लाजी महाराज

श्री कल्लाजी महाराज


राजस्थान के प्रशिद्ध लोक देवता वीरवर राठौड़ राय श्री कल्लाजी के नाम से कई भारतवासी परिचित हैं। भक्तिमती मीरा बाई का जन्म भी आपके के ही कुल में हुआ था। वह कल्लाजी की बुआ लगती थी। 

कल्ला जी का जन्म विक्रमी संवत १६०१ को दुर्गाष्टमी को मेडता में हुआ . मेडता रियासत के राव जयमल के छोटे भाई आस सिंह के पुत्र थे | वीरवर कल्लाजी बड़े प्रतिभा सम्पन्न रणबांकुरे योद्धा हुये है। कहते है इनकी माता श्वेत कुंवर ने शिव पार्वती के आशीर्वाद से उन्हे प्राप्त किया था। इनका जन्म का नाम केसरसिंह था। बचपन मेडता में ही बीता | कल्ला जी अपनी कुल देवी नागणेचीजी के बड़े भक्त थे| उनकी आराधना करते हुए योगाभ्यास भी किया |  इसी के साथ ओषधि विज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर वे कुशल चिकित्सक भी हो गए थे | उनके गुरू प्रसिद्ध योगी भैरव नाथ थे | उनकी मूर्ति के चार हाथ होते है | इसके बारे में कहा जाता है कि सन १५६८ में अकबर की सेना ने चितौड़ पर आक्रमण कर दिया था | किले की रसद ख़त्म हो गयी थी | सेनापति जयमल राठौड़ ने केसरिया बाना पहन कर शाका का व क्षत्राणियों ने जौहर का फैसला किया किले का दरवाजा खोल कर चितौड़ी सेना मुगलों पर टूट पडी |


रब तेरे साथ है


एक अमीर ईन्सान था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई। छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया।

उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँ कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता-तैरता एक टापू पर पहुंचा  लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

2015-08-20

हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं

हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं।

हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं। हमारे भाग्य का विधाता कोई दूसरा नहीं है। हमारे भाग्य की बागडोर हमारे ही हाथ में है। दूसरा कोई उसे थामे हुए नहीं है। न किसी के आगे गिड़गिड़ाओ और न किसी पर दोषारोपण करो। कभी भी यह न सोचो कि अमुक आदमी ने हमारे भाग्य को बिगाड़ दिया। हम अपने नेक कामों से अपने भाग्य के खराब क्षणों को सुखद बना सकते हैं।

हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं। एक बहुत पुरानी सच्ची कहानी जो यह सिद्द्ध करती है --- 

एक बार दो सगे भाई एक बहुत नामी ज्योतिषी के पास गए। ज्योतिषी बड़ा अनुभवी था। उसने दोनों को देखा। छोटे से उसने कहा- तुम्हें कोई राज्य मिलने वाला है। तुम बड़े शासक बनोगे। बड़े भाई से कहा-सावधान रहना। कोई बड़ी विपत्ति आने वाली है। एक बहुत खुश हुआ, दूसरा बहुत उदास। दोनों घर आ गए। दूसरे ने ज्योतिषी की भविष्यवाणी पर काफी गंभीरता से मंथन किया।

संत जगन्नाथदास महाराज



एक संत थे जिनका नाम था जगन्नाथदास महाराज। वे भगवान को प्रीतिपूर्वक भजते थे। वे जब वृद्ध हुए तो थोड़े बीमार पड़ने लगे। उनके मकान की ऊपरी मंजिल पर वे स्वयं और नीचे उनके शिष्य रहते थे। चलने फिरने में कठिनाई होती थी, रात को एक-दो बार बाबा को दस्त लग जाती थी, इसलिए "खट-खट" की आवाज करते तो कोई शिष्य आ जाता और उनका हाथ पकड़कर उन्हें शौचालय ले जाता। बाबा की सेवा करने वाले वे शिष्य जवान लड़के थे।

एक रात बाबा ने खट-खटाया तो कोई आया नही। बाबा बोले- "अरे, कोई आया नही ! बुढापा आ गया, प्रभु !" इतने में एक युवक आया और बोला "बाबा ! मैं आपकी सहायता करता हूं"

बाबा का हाथ पकड़कर वह उन्हें शौचालय मै ले गया। फिर हाथ-पैर धुलाकर बिस्तर पर लेटा दिया। जगन्नाथदासजी सोचने लगे "यह कैसा सेवक है कि इतनी जल्दी आ गया ! और इसके चेहरे पर ये कैसा अद्भुत तेज है.. ऐसी अस्वस्थता में भी इसके स्पर्श से अच्छा लग रहा है, आनंद ही आनंद आ रहा है" जाते-जाते वह युवक पुनः लौटकर आ गया और बोला "बाबा! जब भी तुम ऐसे 'खट-खट' करोगे न, तो मैं आ जाया करूंगा। तुम केवल विचार भी करोगे कि 'वह आ जाए' तो मैं आ जाया करूँगा"


बाबा: "बेटा तुम्हे कैसे पता चलेगा ?"
युवक: "मुझे पता चल जाता है"
बाबा: "अच्छा ! रात को सोता नही क्या?"
युवक: "हां, कभी सोता हूं, झपकी ले लेता हूं। मैं तो सदा सेवा में रहता हूं"

जब भी बाबा जगन्नाथ महाराज रात को 'खट-खट' करते तो वह युवक झट आ जाता और बाबा की सेवा करता। ऐसा करते करते कई दिन बीत गए। जगन्नाथदासजी सोचते की 'यह लड़का सेवा करने तुरंत कैसे आ जाता है?'
एक दिन उन्होंने उस युवक का हाथ पकड़कर पूछा की "बेटा ! तेरा घर किधर है?"


युवक: "यही पास में ही है। वैसे तो सब जगह है"
बाबा: "अरे ! ये तू क्या बोलता है, सब जगह तेरा घर है?"
बाबा की सुंदर समझ जगी।


उनको संदेह होने लगा कि 'कहीं ये मेरे भगवान् जगन्नाथ तो नहीं, जो किसी का बेटा नहीं लेकिन सबका बेटा बनने को तैयार है, बाप बनने को तैयार है, गुरु बनने को तैयार है, सखा बनने को तैयार है...'

बाबा ने कसकर युवक का हाथ पकड़ा और पूछा "सच बताओ, तुम कौन हो?"


युवक: "बाबा ! छोडिये, अभी मुझे कई जगह जाना है"
बाबा: "अरे ! कई जगह जाना है तो चले जाना, लेकिन तुम कौन हो यह तो बताओ?"
युवक: "अच्छा बताता हूं" 
देखते-देखते भगवान् जगन्नाथ का दिव्य विग्रह प्रकट हो गया।
" देवाधिदेव! सर्वलोकैकनाथ ! सभी लोकों के एकमात्र
स्वामी ! आप मेरे लिए इतना कष्ट सहते थे, रात्रि को आना, शौचालय ले जाना, हाथ-पैर धुलाना..प्रभु ! जब मेरा इतना ख्याल रख रहे थे तो मेरा रोग क्यों नही मिटा दिया?"

तब मंद मुस्कुराते हुए भगवान् जगन्नाथ बोले "महाराज !
तीन प्रकार के प्रारब्ध होते है: मंद, तीव्र और तर-तीव्र।
मंद प्रारब्ध तो सत्कर्म से, दान-पुण्य से भक्ति से मिट जाता है।

तीव्र प्रारब्ध अपने पुरुषार्थ और भगवान् के, संत महापुरुषों के आशीर्वाद से मिट जाता है। परन्तु  तर - तीव्र प्रारब्ध तो मुझे भी भोगना पड़ता है।


रामावतार मै मैंने बाली को छुपकर बाण से मारा था तो कृष्णावतार में उसने व्याध बनकर मेरे पैर में बाण मारा।
तर-तीव्र प्रारब्ध सभी को भोगना पड़ता है।


आपका रोग मिटाकर प्रारब्ध दबा दूँ, फिर क्या पता उसे भोगने के लिए आपको दूसरा जन्म लेना पड़े और तब कैसी स्थिति हो जाय? इससे तो अच्छा है कि आप अपना प्रारब्ध अभी भोग लें.. और मुझे आपकी सेवा करने में किसी कष्ट का अनुभव नहीं होता-

भक्त तो मेरे मुकुटमणि, 
मैं भक्तन का दास"

"प्रभु ! प्रभु ! प्रभु !
हे देव हे देव"
कहते हुए जगन्नाथ दास महाराज भगवान के चरणों में गिर पड़े और भगवन्माधुर्य में भगवत्शांति में खो गए..भगवान अंतर्धान हो गए।

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मित्रों चाहे कितना ही दुख मिले 
भगवान को कोसने की बजाय 
नित्य भगवान का दर्शन, नाम-स्मरण और भजन करते चले जाइये..

मूर्छा के प्रकार

काम, क्रोध और लोभ के कारण - आती मूर्छा और उसका इलाज.

१. आर्थिक मूर्छा याने लोभ है. जिसे लोभ हो उसे आर्थिक विवेक रहता ही नहीं. उसका निवारण समर्पण याने दान करने से होगा.


2015-08-19

मन को मारो नहीं मन पर अंकुश रखो

किसी राजा के पास एक बकरा था । एक बार उसने एलान किया की जो कोई इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा।

किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा।


इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है। वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चराता रहा,, शाम तक उसने बकरे को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ,,


2015-08-18

जो विपरीत परिस्थिति मे भी ठंडा रहे वह हीरा है


एक राजा का दरबार लगा हुआ था क्योंकि सर्दी का दिन था इसलिये राजा का दरवार खुले मे बैठा था पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl महाराज ने सिंहासन के सामने एक टेबल रखी थी पंडित, दीवान आदि सभी दरवार मे बैठे थे राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे ।

उसी समय एक व्यक्ति आया और प्रवेश मागा . प्रवेश मिल गया तो उसने कहा मेरे पास दो वस्तुए है मै हर राज्य के राजा के पास जाता हू और अपनी बात रखता हू कोई परख नही पाता सब हार जाते है और मै विजेता बनकर घूम रहा हूँ अब आपके नगर मे आया हूँ राजा ने बुलाया और कहा क्या बात है तो उसने दोनो वस्तुये टेबल पर रख दी बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग समान प्रकाश सब कुछ नख सिख समान राजा ने कहा ये दोनो वस्तुए एक है

क्रिया योग Kriya Yoga


जब हम योग  शब्द के अर्थ पर विचार करते हैं, तो इसके मुख्यतः दो अर्थ निकलते हैं, प्रथम जीव और ईश्वर या आत्मा और परमात्मा का मिलन, अर्थात अद्वैत होने की अनुभूति, दूसरा, अभ्यास व वैराग्य के द्वारा चित्तवृतियों को एकाग्र कर समाधी की स्थिती में पहुँच कर परम पिता परमेश्वर से एकाकार होना | जैसा कीयोग शब्द का शाब्दिक अर्थ ऊपर लिखा जा चूका है, की आत्मा जिस मार्ग पर चल कर परमात्मा का दर्शन लाभ करता है उस मार्ग को क्रिया  योग   कहते हैं, अथवा यों कहें कि चित्तवृतियों के विकारों को दूर कर ,  अपने अभीष्ट और अंतिम लक्ष्य परमात्मा के साथ एकाकार होने की क्रिया को क्रिया योग  कहते हैं | जब कि आज कल शरीर  को स्वस्थ रखने की प्रक्रिया व्यायाम को ही योग नाम दे दिया गया है, व्यायाम सम्पूर्ण योग नहीं है, यह मात्र सम्पूर्ण योग का एक अन्श या पक्ष मात्र है  |

2015-08-17

उनाव का बालाजी सूर्य मंदिर

Unav Balaji Sun Temple

ओम सूर्याय नमः 

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में शहर से 17 किलोमीटर दूर उन्नाओ बालाजी सिद्ध सूर्य मंदिर स्थित हे. इस स्थान में एक कुण्ड हे कहा जाता हे उसमे स्नान मात्र से सभी चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. स्थान सिद्ध हे और अत्यंत प्राचीन. कुण्ड का जल सूर्य देव को चढ़ा कर मांगी मन्नत अवश्य पूर्ण होती हैं. लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं की भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है।

कर्मों की आवाज़

इस संसार में....
सबसे बड़ी सम्पत्ति "बुद्धि "
सबसे अच्छा हथियार "धेर्य"
ऐसा नहीं है कि" दुःख" बढ़ गए है,
बल्कि "सच्चाई" यह है कि
"सहनशीलता" कम हो गयी है,
जिसको" सहना" आ गया
उसको" रहना" आ गया;;
सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास"
सबसे बढ़िया दवा "हँसी"
और आश्चर्य की बात कि
"ये सब #निशुल्क हैं "** 

2015-08-13

रुद्राष्टक - हिन्दी अर्थ सहित

रुद्राष्टकम् (मूल संस्कृत)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं॥१॥

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं,
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं,
गुणागार संसारपारं नतोऽहं॥२॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरं।
स्फुरंमौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा॥३॥


शिव महिम्न: स्तोत्रम् हिन्दी अर्थ सहित

शिव महिम्न: स्तोत्रम् ।।

।। शिव महिम्न: स्तोत्रम् ।।

शिव महिम्न: स्तोत्रम शिव भक्तों का एक प्रिय मंत्र है| 43 क्षन्दो के इस स्तोत्र में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है|

स्तोत्र का सृजन एक अनोखे असाधारण परिपेक्ष में किया गया था तथा शिव को प्रसन्न कर के उनसे क्षमा प्राप्ति की गई थी |


कथा कुछ इस प्रकार के है …एक समय चित्ररथ नाम के राजा  ने एक अद्भुत सुंदर बाग का निर्माण करवाया। जिसमें विभिन्न प्रकार के सुंदर फूल लग रहे थे। प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे। एक दिन पुष्पदंत नामक गन्धर्व जो इंद्र के दरबार में गायक था, उद्यान की तरफ से जाते हुए फूलों की सुंदरता से मोहित हो कर उन्हें चुराने लगा। परिणाम स्वरुप राजा चित्ररथ भगवान शिव को फूल अर्पित नहीं कर पा रहे थे। राजा बहुत प्रयास के बाद भी चोर को पकड़ने में असफल रहे क्योंकि गन्धर्व पुष्पदंत में अदृश्य रहने की शक्ति थी। अंत में राजा ने अपने बगीचे में शिव निर्माल्य फैला दिया। अनजाने में पुष्पदंत शिव निर्माल्य के ऊपर से चला गया, जिससे उसे भगवान शिव का कोप भाजन बनाना पड़ा। फलतः पुष्पदंत की दिव्य शक्तियाँ नष्ट हो गयीं। उसने क्षमा याचना के लिए भगवान शिव की महिमा का गुणगान करते हुए स्तुति की। भगवान शिव की कृपा से पुष्पदंत की दिव्य शाक्तियाँ लौट आयीं। पुष्पदंत द्वारा रचित भगवान शिव की स्तुति 'शिव महिम्न्स्तोत्रं' के नाम से प्रसिद्द हुई। 43 क्षन्दो का यह स्तोत्र शिव भक्तों को अत्यंत प्रिय है।

महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी ।
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः ।।
अथाऽवाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन् ।
ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः ।।1।।

(हे प्रभु ! बड़े बड़े विद्वान और योगीजन आपके महिमा को नहीं जान पाये तो मैं तो एक साधारण बालक हूँ, मेरी क्या गिनती ? लेकिन क्या आपके महिमा को पूर्णतया जाने बिना आपकी स्तुति नहीं हो सकती ? मैं ये नहीं मानता क्योंकि अगर ये सच है तो फिर ब्रह्मा की स्तुति भी व्यर्थ कहलाएगी । मैं तो ये मानता हूँ कि सबको अपनी मति अनुसार स्तुति करने का अधिकार है। इसलिए हे भोलेनाथ ! आप कृपया मेरे हृदय के भाव को देखें और मेरी स्तुति का स्वीकार करें।)

2015-08-12

परमात्मा की अनुभूति

भगवान पर विश्वास कभी नहीं खोना


एक भक्त था वह परमात्मा को बहुत मानता था, बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था ।

एक दिन भगवान से  कहने लगा – 

मैं आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई ।

मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो।

भगवान ने कहा ठीक है, तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो, जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देंगे । दो तुम्हारे पैर होंगे और दो पैरो के निशान मेरे होंगे ।

2015-08-11

भक्त के भाव को रखने का मान

एक धार्मिक कथा
भक्त के भाव को रखने को मान, हनुमानजी ने दिया स्वयं प्रमाण - 
भक्ति कथा 

एक समय अयोध्या के पहुंचे हुए संत श्री रामायण कथा सुना रहे थे। रोज एक घंटा प्रवचन करते कितने ही लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। 
साधु महाराज का नियम था रोज कथा शुरू करने से पहले "आइए हनुमंत जी बिराजिए"कहकर हनुमानजी का आहवान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे। एक वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एकदिन तर्कशीलता हावी हो गई उन्हें लगा कि महाराज रोज "आइए हनुमंत बिराजिए" कहते है तो क्या हनुमानजी सचमुच आते होंगे !

Meaning of our National Anthem


Meaning of our National Anthem

The Indian National anthem, originally composed  in Bengali by Rabindranath Tagore, was adopted in its Hindi version by the Constituent Assembly as the National Anthem of India on 24 January 1950. It was first sung on 27 December 1911 at the Calcutta session of the Indian National Congress. The complete song consists of five stanzas. Playing time of full version of the National Anthem is  approximately 52 seconds. The lyrics were rendered into English by Rabindranath Tagore himself.

कालिदास का घमंड

महाकवि कालिदास अपने समय के महान विद्वान थे। उनके कंठ में साक्षात सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा। उनसे बड़ा ज्ञानी संसार में कोई दूसरा नहीं। एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रण पाकर कालिदास महाराज विक्रमादित्य से अनुमति लेकर अपने घोड़े पर रवाना हुए।

गर्मी का मौसम था, धूप काफी तेज़ और लगातार यात्रा से कालिदास को प्यास लग आई। जंगल का रास्ता था और दूर तक कोई बस्ती दिखाई नहीं दे रही थी। थोङी तलाश करने पर उन्हें एक टूटी झोपड़ी दिखाई दी।

2015-08-10

Doctor prescription short form

Doctor's written understanding

आओ डाक्टर का लिखे हुए को समझे: (Common Abbreviations)जरुर पढे

> Rx = Treatment.
> Hx = History
> Dx = Diagnosis
> q = Every
> qd = Every day
> qod = Every other day
> qh = Every Hour
> S = without
> SS = On e half
> C = With

2015-08-09

लंबी उम्र कैसे पाएं ?

लंबी उम्र तो सभी चाहते हैं, लेकिन लंबी उम्र कैसे पाएं ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। 

हमारे बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं पहला सुख निरोगी काया यानी संपूर्ण सुखी जीवन की कामना बिना अच्छे स्वास्थ्य के नहीं की जा सकती। किसी के पास कितना ही धन हो लेकिन अगर स्वस्थ शरीर न हो तो सारे ही सुख व्यर्थ है। हर इंसान स्वस्थ शरीर और लंबी उम्र पाना चाहता है ताकि वह पूर्णता के साथ और सारे सुख उठाते हुए आनंदमयी तरीके से जीवन जी सके। अगर आप भी लंबी उम्र पाना चाहते हैं तो याद रखें ये दस सूत्र।

- भोजन के तुरंत बाद सोना या परिश्रम करना, भोजन करते हुए बातें करना और भोजन के अंत जल-पीना अपच और कब्ज करने वाले काम हैं। इनसे बचें।

Pati patni chutcule Part - 7

आज बाइक में Petrol डलवाने गया,
वहाँ देखा कि लोग अपनी बीवी को पेट्रोलपंप के बाहर मोटरसाइकिल से उतार देते हैं....
मैं सोचने लगा कि ऐसा क्यों ???
फिर मेरी नज़र, वहाँ लगे Board पे पड़ी, और मैं बहुत हंसा....
Board was....
"आग लगाने वाली चीज़ें दूर रखें..."

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पत्नी ने  बाथरूम से पति  को आवाज लगती है ।
पत्नी : - जानू.... मैंने साबुन लगा दिया है , जरा यहां आ कर रगड़ देना, प्लीज.....
पति : - जी आया ।
पत्नी : - जल्दी आओ ना जानू ।
पति  ( बाथरूम में जाता है ) : - कहा रगड़ना है बताओ ना ?
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पत्नी : - ज्यादा दिमाग मत लगाओ , देखते नहीं कपड़ों पर साबुन लगा है।
फटाफट अच्छे से रगड़ दो ।
में जा रही हूं , ओर भी बहुत से काम पढ़े है ।
जल्दी करो ।


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औरते क्यो रोती है बिना बात के.?

एक बच्चे ने अपनी माँ को रोते देखा
तो पापा से पुछा माँ क्यो रोती है.??

पापा ने जवाब दिया
सारी औरते बिना बात के रोती है..

बच्चा कुछ समझ ना पाया और वो बड़ा हो गया.

एक दिन उसने भगवान से पूछा कि
औरते क्यो रोती है बिना बात के.?

भगवान ने जवाब दिया,
जब मै औरत को बना रहा था,
तो मैने फैसला किया कि उसे
कुछ खास बनाना हैं,

मैने उसके कँधे मजबूत बनाये,
ताकि वह
दुनियादारी का बोझ उठा सके।👍

उसके बाहो को कोमल बनाया,
ताकि बच्चो को आराम महसूस हो सके।👍


शादी के बाद दुर्गति किसकी ?

After the wedding, whose misery

शादी के बाद दुर्गति तो
लड़की की होती है लेकिन
घड़ियाली आंसू
बहाता लड़का है !

आज़ादी छिनी
लड़की की लेकिन
ग़ुलामी का ढिंढोरा
पीटता लड़का है !

असली समझौता तो
लड़की करती है
लेकिन खुद को क़ैदी
समझता लड़का है !

लड़की का घर छूटा,
माँ-बाप, भाई-बहन-
सहेलियां छूटीं !

उसकी आज़ादी छिनी-
घूमने की, पहनने की,
नौकरी करने की,
हँसने-बोलने की,
कहीं आने-जाने की !


2015-08-07

शिव आणि मध्य प्रदेशात नंदी महाराष्ट्रात

मध्यप्रदेशातील बडवानी जिल्ह्यातील राजवाडा नावाच्या गावच्या सीमेवर असलेल्या मारूती मंदिरासमोर शिवाची पिंडी आणि नंदी आहे. महाशिवरात्रीला येथे भाविकांची मोठी गर्दी उसळते. मात्र येथे जाताना भाविकांना एक सावधगिरी बाळगावी लागते. ते म्हणजे मोबाईलवर बोलत असाल तर तुमचे रोमिंग कधी सुरू होते याची कल्पनाच येत नाही.कारण येथे शिव पिंडीचा भाग मध्यप्रदेश राज्यात येतो आणि नंदी महाराष्ट्रात. पिंड आणि नंदी यामध्ये केवळ दोन पावलांचे अंतर आहे. त्यामुळे फोनवर बोलताना तुम्ही हे अंतर पार केलेत की रोमिंग सुरू होते.

महाराष्ट्राकडून मंदिरापर्यंत रस्ते बांधणी

लेपाक्षी मंदिर

अनंतपुर, जिला  आंध्र प्रदेश में  झूलते पिलर (स्तम्भ) वाला लेपाक्षी मंदिर है  |



आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का लेपाक्षी मंदिर हैंगिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं। मंदिर के ये अनोखे पिलर हर साल यहां आने वाले लाखों टूरिस्टों के लिए बड़ी मिस्ट्री हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि इन पिलर्स के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है। अंग्रेजों ने इस रहस्य को जानने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके।

2015-08-04

शिव पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है

सावन के महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व होता है


शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार हैं। उनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार वे निराकार हैं। आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है। जबकि उनके साकार रूप में उन्हे भगवान शंकर मानकर पूजा जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं। लिंग रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं। इसलिए शिव मूर्ति और लिंग दोनों रूपों में पूजे जाते हैं। 

विवाह वास्तव में पशुत्व से देवत्व की ओर बढ़ने का एक मार्ग है।

स्त्री और पुरुष दोनों के मिलने से 'मनुष्य' बनता है। 
स्त्री और पुरुष दोनों के मिलने से नर-नारी की स्वाभाविक अपूर्णता दूर होती है।

नारी लक्ष्मी का अवतार है। धन,सम्पत्ति तो निर्जीव लक्ष्मी है, किन्तु स्त्री तो लक्ष्मी की सजीव प्रतिमा है~ 

1. गायत्री मन्त्र का सातवाँ अक्षर 'रे' गृह लक्ष्मी के रूप में नारी की प्रतिष्ठा की शिक्षा देता है। भगवान मनु के अनुसार जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं। उक्त कथन का भावार्थ यही है कि जहां नारी को उचित सम्मान दिया जाता है- उस स्थान में सुख,शान्ति का निवास रहता है।

2. सम्मानित और सन्तुष्ट नारी अनेक सुविधाओं एवं सुव्यवस्थाओं का घर बन जाती है, उसके साथ गरीबी में भी अमीरी का आनन्द बरसता है। अतः उसके समुचित आदर, सहयोग और सन्तोष का सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए।

3. नारी में नर की अपेक्षा दयालुता, उदारता, सेवा, परमार्थ और पवित्रता की भावनाएं अधिक होती हैं। 

4. नारी के द्वारा अनन्त उपकार और सहयोग प्राप्त करने के उपरान्त नर का यह पवित्र उत्तरदायित्व हो जाता है कि वह उसे स्वावलम्बी, सुशिक्षित, स्वस्थ, प्रसन्न और सन्तुष्ट बनाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे। उसके साथ कठोर अथवा अपमान जनक व्यवहार किसी प्रकार उचित नहीं है।

बुढ्ढा सरदार


कुछ दोस्त मिलकर दिल्ली घूमने का प्रोग्राम बनाते है और रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर एकआटो रिक्शा किराए पर लेते है , उस आटो रिक्शा का ड्राइवर बुढ्ढा सरदार था, यात्रा के दौरान बच्चो को मस्ती सूझती है और सब दोस्त मिलकर बारी बारी सरदार पर बने जोक्स को एक दुसरे को सुनाते है उनका मकसद उस ड्राइवर को चिढाना था .


2015-08-03

सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण


सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण  !!!

सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः ।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम् ॥

हे महाबाहो ! सत्व, रज और तम - ऐसे नामों वाले ये तीन गुण हैं। यहाँ रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द आदि की भाँति किसी द्रव्य के आश्रित गुणों का ग्रहण नहीं है। जैसे उपरोक्त रूपादि गुण द्रव्य के अधीन होते हैं वैसे ही सत्वादि गुण सदा क्षेत्रज्ञ के अधीन हुए ही अविद्यात्मक होने के कारण मानो क्षेत्रज्ञ को बाँध लेते हैं। उस क्षेत्रज्ञ को आश्रय बना कर ही ये गुण अपना स्वरुप प्रकट करने में समर्थ होते हैं, अतः "बाँधते हैं" ऐसा कहा जाता है।

तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम् ।
सुखसङ्गेन बध्नाति ज्ञानसङ्गेन चानघ ॥

कलियुग का आगाज

श्रीकृष्ण कहते हैं- "तुम पाँचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ।  मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।"

पाँचों भाई वन में गये। युधिष्ठिर महाराज ने देखा कि किसी हाथी की दो सूँड है।

यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा। अर्जुन दूसरी दिशा में गये। वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है यह भी आश्चर्य है !

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।

महिलाओं के लिए - दादी माँ का देसी घरेलु नुस्खा

महिलाओं के लिए विशेष - दादी माँ का देसी घरेलु नुस्खा - जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करेगा

आज कल अधिकतर महिलाएं श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर , मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी, दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि कई बीमारियां से परेशान है. ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ नहीं रहने देती हैं। अतः अपनाएं निम्न दादी माँ का देसी घरेलु नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है।

सामग्री:

  • स्वर्ण भस्म या वर्क दस ग्राम,
  • मोती पिष्टी बीस ग्राम,
  • शुद्ध हिंगुल तीस ग्राम,
  • सफेद मिर्च चालीस ग्राम,
  • शुद्ध खर्पर अस्सी ग्राम।
  • गाय के दूध का मक्खन पच्चीस ग्राम


तैयार करने की विधि:

थोड़ा सा नींबू का रस पहले स्वर्ण भस्म या वर्क और हिंगुल को मिला कर एक जान कर लें। फिर शेष द्रव्य मिलाकर मक्खन के साथ घुटाई करें। फिर नींबु का रस कपड़े की चार तह करके छान लें। और इसमें मिलाकर चिकनापन दूर होने तक घुटाई करनी चाहिए। आठ-दस दिन तक घुटाई करनी होगी। फिर उसकी एक-एक रत्ती की गोलियां बना लें।

कैसे करें सेवन:

1 या 2 गोली सुबह शाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ सेवन करें। इस दवाई का सेवन करने से महिलाओं को प्रदर रोग, शारीरिक क्षीणता, और कमजोरी आदिसे मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है।
यह दवाई ''स्वर्ण मालिनी' ' वसंत के नाम से बाजार में भी मिलती है। इसके सेवन से शरीर बलशाली होता है। शरीर के सभी अंगों को ताकत मिलती है।

महिलाएं स्वभाव से बहुत ही भावुक होती है। कहते हैं ममता, प्यार, दया और सेवा ये सभी गुण उनमें जन्म से ही होते हैं। इसीलिए वे शादी के बंधन में बंधने के बाद पराए घर को अपनाकर अपने दिन-रात उनकी सेवा में लगा देती है। ऐसे में अधिकतर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं। ध्यान नहीं देने के कारण वे कई बार अपनी बीमारियों को छिपाए रखती हैं। इस तरह अंदर ही अंदर वे कमजोर होती जाती हैं। श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर , मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि। ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ और सुडौल नहीं रहने देती हैं। इसलिए उपरोक्त आयुर्वेदिक नुस्खा जो महिलाओं की हर  तरह की कमजोरी को दूर करता है का सेवन करें.

दादी माँ के घरेलू नुस्खे

अब छोटी-छोटी परेशानियों के लिए बार-बार डॉक्टर के क्लिनिक के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं। ऐसी ही कुछ समस्याओं के बारे में हम बात कर रहे हैं। जो सामान्य रूप से किसी के भी साथ हो सकती है। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही छोटे आसान और बेहद काम के सरल दादी माँ के घरेलू उपायों के विषय में जो कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में बड़े अचूक होते हैं-

हिचकी का घरेलु उपाय (Natural Remedy For HICCUP) 
हिचकी चलती हो तो 1-2 चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें।

छींक का घरेलु उपाय (Natural Desi Remedy For Sneeze)
- ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं।

कैसे हटायें मस्से
- प्याज का रस लगाने से मस्सो के छोटे-छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं।

तुरंत गैस से राहत (Fast Gas Relief)
- गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन की 2 कली छीलकर 2 चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं फौरन आराम होगा।

कैसे हों उल्टियां बंद (How to stop vomit)
- प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना तत्काल बंद हो जाती हैं। 

2015-08-02

हनुमान चालीसा अर्थ सहित


मांयवर , हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं सब रटा रटाया | हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से kya कह रहे हैं या kya मांग रहे हैं ?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं | आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो | तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित !!


श्री गुरु चरण सरोज रज,निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु,जो दायकु फल चारि। ★


《अर्थ》→ शरीर गुरु महाराज के चरण
कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र
करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन
करता हूँ,जो चारों फल धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष
को देने वाला हे।★

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बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार।★

《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन
करता हूँ। आप तो जानते ही हैं,कि मेरा शरीर और
बुद्धि निर्बल है।मुझे शारीरिक बल,सदबुद्धि एवं
ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कार
दीजिए।★

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,जय कपीस तिहुँ लोक
उजागर॥1॥★

《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी!आपकी जय हो।
आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर!
आपकी जय हो!तीनों लोकों,स्वर्ग लोक,भूलोक और
पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन!आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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समृद्ध कौन - लघु कथा

"लघु कथा"
           " Ya"
"KATU-SATYE"

एक "समृद्ध" परिवार की महिला :----

साड़ी की दुकान पर जाकर कहती है--
 "हल्की साडी बताओ",मेरे लड़के की शादी है !!
 और मुझे "कामवाली बाई" को "भेंट" देनी है।!!